पिछले कई सालों से मार्केटींग के क्षेत्र में डिजिटल मार्केटींग एक महत्त्वपूर्ण विषय हो रहा है और आनेवाले सालों में यह मार्केटींग के लिए एक प्राथमिक माध्यम बनजायेगा । हर एक व्यावसायिक डिजिटल मार्केटींग अपनाना चाहता है, डिजिटल मार्केटींग में काम करनेवालों को नौकरी पे रखना चाहता है, जिससे वह निवेष की वापसी में वृद्धी कर सके ।
इस के साथ ही सैल्स, आईटी एवं बाकी कई पेशेवर डिजिटल मार्केटींग मे अपना करीअर बना रहे है ।
गूगल सर्च ट्रैन्डस् डिजिटल मार्केटींग के लिए दिन ब दिन कैसे बढ रहा है, देखिये ।
तो बखुबी से जानिए क्या है डिजिटल मार्केटींग!
डिजिटल मार्केटींग की परिभाषा
डिजिटल मार्केटींग यह उत्पादन या सेवाओं का इलैक्ट्रोनिक या इंटरनेट से मार्केटींग करने का एक माध्यम है।
डिजिटल मार्केटींग के बारे में ज्यादा जानकारी लेने से पहले चलिए जानते है पारंपारिक मार्केटींग की तुलना में डिजिटल मार्केटींग के क्या फायदे है!
(पारंपारिक मार्केटींग में समाचारपत्र में विज्ञापन, मासिक पत्रिका में विज्ञापन, होर्डींग आदी का समावेश होता है।)
पारंपारिक मार्केटींग के मुकाबले डिजिटल मार्केटींग के फायदे (Advantages of Digital Marketing in Hindi)
सटीक लक्ष्य (Precise Targeting):
डिजिटल मार्केटींग विज्ञापदाताओं को उम्र, लिंग, रुचि, विषय, की-वर्डस्, वेबसाईट, शहर, पिन कोड इत्यादी सहित अपने दर्शकों को ऍड लक्षित (ऍड टार्गेट) करने की अनुमती देता है। पारंपारिक मिडिया की तुलना में यह बहुत सटीक है।
रियल टाईम आप्टीमायझेशन (Real Time Optimisation):
डिजिटल मार्केटींग के जरीए हम अपना विज्ञापन कैम्पेन में, जरुरी बदलाव रिअल टाईम में कर सकते है जिसका मतलब है अक्षर रणनीति काम नही कर रही है तो हम तुरंत दुसरी रणनीति को अपना सकते है, जहाँ की पारंपारिक मार्केटींग की पद्धती में एक बार विज्ञापन प्रकाशित हो गया तो हम बदलाव नही कर सकते।
विश्लेषण (Measurable):
डिजिटल मार्केटींग के माध्यम से हम आसानी से जान सकते है की कितने उपयोगकर्ता के पास अपना विज्ञापन पहुचा है, हमारे विज्ञापन पर क्लिक करने के बाद कितने लोगो ने प्रोडक्ट खरीदा है, उन्होने कितना समय वेबसाईट पर व्यतीत किया है, वो वेबसाईट की कितने पेजेस देख रहे है, उनको प्रोडक्ट खरिदने में या लीड फॉर्म भरने में कितना समय लग लागा है और बहूत कुछ, जहाँ की पारंपारिक माध्यम में हम ये सब विश्लेषण नही कर सकते ।
लगाव बनाना (Build Engagement):
डिजिटल मार्केटींग ब्रैन्ड को अपने ग्राहकों के साथ लगाव बनाने में मदत करता है, अपने ग्राहकों के साथ रियल टाईम में समाज माध्यम (सोशल मिडीया) के जरीये बाचतीत कर सकते है और अपने ब्रैन्ड के साथ जुड कर रहने के लिए मदत करता है और अपने व्यवसाय के अनेक पहलू में ब्रैन्डस का संचार बनाए रखता है ।
निजी संचार (Personalised Communication):
डिजिटल मार्केटींग का सबसे बढिया फायदा यह है की, आप हर एक युजर से डिज़िटल के जरिए निजी संचार बना सकते है। विज्ञापनकर्ता उनके ग्राहको के साथ प्रभावी रुप से संचार कर सकते है, उनकी जरुरतों को समज सकते है और उसके संबंधी मतलब का संदेश भेज सकते है, जिससे ब्रॅंड्स को अपना लक्ष्य प्राप्त करना आसान हो जाता है।
किफायती (Cost Effective):
डिजिटल मार्केटींग किफायती है, आपको जितने क्लिक्स मिले है या आपका विज्ञापन जितनी बार ट्रिगर हो चुका है उतने ही पैसे देने पडते है। आप का बज़ट कितना भी हो, आप डिजिटल माध्यम मे विज्ञापन शुरु कर सकते है। विज्ञापनकर्ता अपना मार्केटींग कैम्पेन काम से काम बजेट में आजमा के अपनी मा़र्केटींग स्ट्रैटीजी बना सकते है। पारंपारिक माध्यम के मुकाबले कम बज़ट में आप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सकते है जिससे आपका लगभग मार्केटींग खर्चा बच जाता है।
निवेश की उच्च वापसी (Higher ROI):
डिजिटल मिडीया मे पारंपारिक माध्यम के मुकाबले निवेश की वापसी अधिक है । जहाँ लक्ष्य ज्यादा सटीक है, इससे जिनको रुची नही है, उनके सामने आपका विज्ञापन दिखना कम होता है, इसी वजह से आप अपने व्यवसाय का उद्देश प्राप्त कर सकते है। डिज़िटल के जरिये, जिसने आपका विज्ञापन क्लिक किया है, ऐसे युज़र को आप ट्रैक कर सकते है और दुबारा विज्ञापन दिखा के आप उसे अपना ग्राहक बना सकते है।
डिजिटल मार्केटींग का ऑनलाईन और ऑफलाईन चैनल में वर्गीकरण करते है।
डिजिटल मार्केटींग – ऑनलाईन मार्केटींग चैनल्स (Digital Marketing in Hindi – Online Marketing Channels)
- सर्च एन्जिन ओप्टीमायज़ेशन (SEO)
- सर्च एन्जिन मार्केटींग (SEM)
- सोशल मिडिया मार्केटींग (SMM)
- पे पर क्लिक मार्केटींग (PPC)
- डिसप्ले मार्केटींग (Display Marketing)
- कन्टेन्ट मार्केटींग (Content Marketing)
- अफिलेट मार्केटींग (Affiliate Marketing)
- ई मेल मार्केटींग (Email Marketing)
- विडिओ मार्केटींग (Video Marketing)
- मोबाईल मार्केटींग (Mobile Marketing)
जानते है इन सब के बारे में
1. सर्च एन्जिन ओप्टीमायज़ेशन (SEO)
सर्च एन्जिन ओप्टीमायज़ेशन यह आपके वेब साईट के रैकिंग की एक प्रक्रिया है जो सर्च एन्जिन का ओरगैनिक / नॉन पेड सर्च का नतिजा होता है।
ओरगैनिक सर्च रिजल्ट में वेब पेज का रैकिंग नीचे दिए फैक्टर्स पर निर्भर होता है
- कन्टेन्ट स्ट्रैटीजी
- ऑन पेज ओप्टीमायजेशन
- ऑफपेज ओप्टीमायजेशन
2. सर्च एन्जिन मार्केटींग (SEM)
सर्च एन्जिन मार्केटींग एक ऐसी प्रक्रिय है जो आपके वेब साईट की विजिबिलीटी ओरगैनिक और पेड सर्च रिजल्ट के जरिए बढाती है।
आसान श्ब्दों में कहा जाए तो एसइएम (SEM) = एसइओ (SEO) + पेड सर्च
नीचे दिए स्क्रीन शॉट्स गूगल सर्च पर पेड सर्च रिजल्ट और ओर्गैनिक का फर्क बताते है ।
3. सोशल मिडिया मार्केटींग (Social Media Marketing)
सोशल मिडिया मार्केटींग में आपके उत्पादन एवं सेवाओं को बढावा देने के लिए सोशल मिडिया चैनल्स का प्रयोग किया जाता है।
सोशल मिडिया मार्केटींग मे नीचे दिये गये चैनल्स मौजूद होते है
सोशल मिडिया एक प्रभावशाली माध्यम है, जिससे आप आपके ग्राहकों तक पहुँच सकते है, उनके साथ लगाव बना सकते है और बातचीत कर सकते है। मानो ब्रैन्ड और ग्राहक आमनेसामने हो कर संवाद कर रहे हो।
4. पे पर क्लिक (Pay Per Click)
पे पर क्लिक हमेशा पीपीसी से जाना जाता है। पे पर क्लिक मार्केटींग एक ऐसा ऑनलाईन मॉडेल है जहाँ विज्ञापनकर्ता, पब्लिशर को प्रति क्लिक के हिसाब से पैसे देता है। इसमें आपका विज्ञापन कितनी बार ट्रिगर हो चुका यह बात मायने नही रखती। जितनी बार विज्ञापन क्लिक हुआ हो विज्ञापनकर्ता पब्लिशर को उतने ही पैसे देता है।
उदाहरण: नीचे दी गई स्क्रीन शॉट में 4 विज्ञापन पीपीसी है। अगर युजर इन में से कोई भी विज्ञापन पर क्लिक करता है, संबंधि विज्ञापनकर्ता को पे पर क्लिक के हिसाब से गूगल को पैसे देने होते है।
5. डिस्प्ले मार्केटींग (Display Marketing)
डिस्प्ले मार्केटींग एक ऐसा मार्केटींग है जिसमें उत्पादन या सेवा, इमेज अॅड्स/ बैनर अॅड्स / डिस्प्ले अॅड्स के जरिये दिखाये जाते है। डिस्प्ले अॅड्स पीपीसी या सीपीएम मॉडेल पर निर्भर होता है।
डिस्प्ले अॅड्स चलाने के मार्ग!
- गूगल अॅड्स / गूगल अॅडवर्डस् – गूगल के अॅड्स प्लैटफार्म के जरीये अॅड्स चलाना
- सीधा खरीदना – अॅड्स चलाने के लिए सीधे पब्लिशर को संपर्क करना
- अॅड नेटवर्कस् – अॅड नेटवर्क थर्ड पार्टी प्लैटफार्म है, जो अलग अलग पब्लिशर्स (कन्टेन्ट वेबसाइट्स) पे अॅड चलाने में मदत करते है, जैसे की कोमली, टाईरो, इनमोबी आदी।
- प्रोग्रेमैटीक अॅड्स – प्रोग्रेमैटीक अॅड्स में डिस्प्ले अॅड्स, विडीओ अॅड्स, रिच मिडिया अॅड्स आदी को खरीदना और बेचने का स्वयंचलन होता है जिसमे रियल टाईम बिडींग होता है।
तो गूगल डिस्प्ले अॅड्स और नॉन गुग्ल डिस्प्ले अॅड्स कैसे पेहचाने ?
नीचे दे गए स्क्रीन शॉट में एक विज्ञापन है जिसके दाई ओर एक आई मार्क है, यह विज्ञापन गूगल अॅड्स के जरीये ट्रिगर हुआ हैं ।
नीचे द्खिाए गए स्क्रीन शॉट, एक उदाहरण है जो नॉन गूगल अॅड है और जिसमे दाई ओर कोई आई मार्क नही है।
6. कन्टेन्ट मार्केटींग (Content Marketing)
कन्टेन्ट मार्केटींग संचार एक तरिका है जिसमे आपके ग्राहक के साथ संबध बनाने के लिए आप अपने उत्पादन एवं सेवा के बारे में कथा के रुप में संदेश दे सकते है। जो आपके बिज़नेस के आयु तक चलता रहेगा। ग्रहकों के साथ संबंध और संकेत बढाने के लिए प्रभावशाली कन्टेन्ट मार्केटींग स्ट्रैटीजी बहोत महत्त्वपूर्ण है, जो आगे चल कर आपके वेबसाईट युसर्स को बिक्री में बदल सके।
कन्टेन्ट मार्केटींग के अलग अलग चैनल्स
- ब्लॉग्ज
- विडिओज
- इन्फोग्राफिक्स
- वेबिनार्स
- पॉडकास्टस्
- इ बुक्स
- व्हाईट पेपर्स
7. अॅफिलिएट मार्केटींग (Affiliate Marketing)
अॅफिलिएट मार्केटींग ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आप दुसरे कंपनी के उत्पादनों और सेवाओं को प्रमोट कर के कमिशन प्राप्त कर सकते है। बहुत सारी कंपनीयोने अॅफिलिएट प्रोग्राम्स शुरु किए है, जिससे हर एक व्यक्ति को पैसे कमाने का अवसर मिलता है।
अॅफिलिएट मार्केटींग बिजनेस के उदाहरण
अॅफिलिएट प्रोग्राम्स देनेवाली कंपनी
8. इ मेल मार्केटींग (Email Marketing)
इ मेल मार्केटींग यह मार्केटींग का सीधा स्वरुप है। इ मेल का प्रयोग करके आप ग्राहकों से सीधा संदेश दे सकते है। यह इ मेल उत्पादन का प्रमोशन, ज्यादा जानकारी के संदेश, उत्पादन के बारे में जानकारी आदी संदेश दे सकते है। एक दुसरे से संपर्क करने के लिए ए मेल मार्केटींग़ एक प्रभावशाली चैनल है। इ मेल मार्केटींग के जरिए आप ग्राहकों से संचार बनाए रख सकते है जिससे आपके संबध अधिक दृढ होकर आपके उत्पादन वो बार बार खरीदने के लिए उद्युक्त हो सकते है। इमेल मार्केटींग को ड्रिप मार्केटींग के नाम से भी जाना जाता है।
इ मेल मार्केटींग के कुछ अलग प्लैटफार्स्
9. विडिओ मार्केटींग (Video Marketing)
विडिओ मार्केटींग एक ऐसा साधन है जिसमें आपके ब्रैन्ड को विडिओ के माध्यम से मार्केटींग किया जाता है। ब्रैन्डस् ने विडिओ मार्केटींग के लिए युट्युब को प्रमुख माध्यम माना है। विडिओ मार्केटींग सोशल मिडिया चैनल्स पर भी किया जाता है जिसमें फेसबुक, इन्स्टाग्राम, स्नैपचाट, प्रोग्रामेटीक विडिओ आदी का समावेश हैं।
विडिओे मार्केटींग के तथ्य
- 2018 में विडिओ अॅड्स पर होनेवाला खर्चा 289 मिलियन डालर्स तक पहुँच गया है।
- विडिओ अॅड्स पर किए जानेवाले खर्चे में एफएमसीजी ब्रैन्डस का लगभग 27% हिस्सा है।
10. मोबाईल मार्केटींग (Mobile Marketing)
मोबाईल मार्केटींग मे, ग्राहकों के साथ मोबाईल डिवाईस, टैबलेट्स, मोबाईल साईटस्, क्युआर कोडस, पुश नोटीफिकेशन्स, एसएमएस, वाट्स ऐप, और मोबाईल ऐप (गूगल प्ले, ऐप स्टोर) आदी से संपर्क बनाया जाता है।
मोबाईल मार्केटींग के कुछ तथ्य
- मोबाईल फोन पर इंटरनेट प्रयोग करनेवालों की संख्या 2022 तक 274 मिलियन तक पहुंच जाएगी|
- 2021 तक मोबाईल ऐप डाऊनलोडस् 252 मिलियन तक पहुँच जाएगा|
मोबाईल इंटरनेट का प्रयोग हर साल बढता जा रहा है और विज्ञापनकर्ता खास कर उन्हे लक्ष्य (टार्गेट) बना रहे है, जिस्में मोबाईल डिवाईस में ऑपरेटींग सिस्टम का समावेश है, ऐन्ड्राईड, आईओएस प्रकार के मोबाईल फोन्स (आई फोन 7प्लस, आई फोन एक्स) वगैरा। इससे विज्ञापनकर्ता मोबाईल धारक को लक्ष्य (टार्गेट) बनाकर निवेश मे बढोत्तरी कर सकते है।
डिजिटल मार्केटींग – ऑफलाईन मार्केटींग चैनल्स (Digital Marketing – Offline Marketing Channels)
- टी वी मार्केटींग
- एसएमएस मार्केटींग
- रेडिओ मार्केटींग
- बिलबोर्ड मार्केटींग
1. टी वी मार्केटींग (TV Marketing)
सेट टॉप बॉक्स का उपयोग करनेवालों मे वृद्धी होने के कारण टी वी मार्केटींग डिजिटल बन चुका है, आप अलग अलग शहरो में, एकही समय पर अलग अलग विज्ञापन प्रसारित कर सकते है। इसमें टारगेट सटीक होता नही, बल्की विज्ञापनकर्ता को अॅड स्पॉट खरिदने के लिए BARC के डेटा पर निर्भर रहना पडता है।वर्तमान में टी वी पर ज्यादा सटीक तरह से विज्ञापन प्रसारित करने के लिए थोडा अधिक समय लागेगा।
ज्यादातर विज्ञापनकर्ता आपना विज्ञापन प्रभावशाली बनाने के लिए डिज़िटल विडिओ अॅड्स का मार्ग का स्वीकार कर रहे है, जो टी वी अॅड्स प्रॉडक्शन की तुलना में किफायती साबित हुआ है।
आनेवाले कुछ ही सालों में काफी विज्ञापनकर्ता अपने विज्ञापन, युट्युब, इन्स्टाग्राम, फेसबुक और पब्लिशर (कन्टेन्ट वेबसाइट्स) पे विडिओ इन्वेन्टरी के साथ पेश करते नजर आएंगे।
2. एसएमएस मार्केटींग (SMS Marketing)
एसएमएस मार्केटींग का मतलब शॉर्ट मेसेजिंग सर्विस मार्केटींग है, जिसमे संदेश भेजे और प्राप्त किये जाते । एसएमएस ये मार्केटींग का सीधा तरिका है जिसमें ब्रान्डस् युजर को ऑफर्स, कुपन कोड्स सेल अपडेट देकर रि-टारगेट कर सकते है।
भविष्य में एसएमएस मार्केटींग कम होने की संभावना है क्योंकी वाटस् ऐप ने बिज़नेस वाटस् ऐप सेवा शुरु कि है जिस्में ब्रान्डस् सीधा वाटस् ऐप मेसेज अपने ग्राहकों को भेज सकते है।
जो फोन नंबर्स डू-नॉट-डिस्टर्ब लिस्ट में शामिल है वो प्रोमोशनल मेसेज प्राप्त नही कर सकते हालाकी इस पर वाटस् ऐप एक अच्छा उपाय है।
3. रेडिओ मार्केटींग (Radio Marketing)
रेडिओ एक और मार्केटींग का माध्यम है जिससे विज्ञापनकर्ता ग्राहकों से संपर्क कर सकते है लेकिन रेडिओ माध्यम में, ज्यादा सटीक टारगेटींग मौजूद नही है और आप अपना विज्ञापन कितने लोगोंतक पहुँचा है, इसकी भी जानकारी नही प्राप्त कर शकते ।
ब्रान्ड रि-कॉल करने के लिए रेडिओ उपयोगी है जहा की 76% ग्राहक मोबाईल फोन पे एफ एम चैनल्स सुनते है।
हिंदुस्तान युनिलिवर ने ने भी बिहार में खन खजुरा टेसन शुरु किया है जिसमे क्रांतिकारी मिस कॉल कैम्पेन शामिल है। इसमे रेडिओ सुननेवाले रेडिओ स्टेशन के नंबर पर मिस कॉल दे के गाना सून शकते है।
4. बिल बोर्ड मार्केटींग (Bill Board Marketing)
बिल बोर्ड मार्केटींग, मार्केटींग का एक ऐसा रुप है जहा इलैक्ट्रोनिक बोर्ड पे विज्ञापन चलाया जाता है. उदा: टाईम्स स्क्वेअर बिल बोर्डस, सुपर बोल कमर्शियल वगैरा।
बिल बोर्ड मार्केटींग यह मार्केटींग का एक पारंपारिक तरिका है जिसमें आप टारगेट डिफाईन नही कर सकते, आप नही जान सकते की कितने लोगों ने आपका विज्ञापन देखा है। जहाँ ज्यादा भीड होती है वहाँ बिल बोर्ड मार्केटींग आकर्षित करने के लिए लगाया जाता है।
अनुमान (Conclusion)
डिज़िटल मार्केटींग समय की जरुरत है, और हर व्यवसाय को अच्छी निवेश वापसी के लिए प्रभावशाली डिज़िटल मार्केटींग स्ट्रैटीजी बनाना जरुरी है ।काफी सारे बिज़नेस एजेन्सीज के साथ काम करते है या उनके उत्पादन या सेवाओं का मार्केटींग करने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त डिजिटल मार्केटर्स नौकरी पर रखते है। डिजिटल मार्केटींग शुरु करने से पहले यह सब जानना जरुरी है।